Tuesday, June 8, 2010

भोपाल गैस त्रासदी

कल भोपाल की सी जे एम् कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी अपना फैसला सुनाया , सुनकर लगा की आज भी हमारा देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा ही है |
आज भी हम बेबसी के साथ विश्व के अगुवा कहलाने वाले देशो के सामने हाथ फैलकर खड़े हो जाते है | दुःख इस बात का नहीं है की कोर्ट ने २ वर्ष की सजा क्यों सुनाई , मलाल तो इस बात का है मुख्य आरोपी तो कोर्ट में पेश ही नहीं हुआ और केस समाप्त हो गया , आखिर क्यों , ऐसी कौन सी मज़बूरी है जो भारत की सर्कार उसके प्रत्यर्पण की मांग नहीं कर सकी, उस निर्दोष लोगो के कातिल की जो अमेरिका में आज भी मजे की जिंदगी गुजार रहा है | ऐसी उन्नति किस काम जिसमे अपना सम्मान को किनारे रख कर आगे चला जाये | यदि भारत सरकार अमेरिका के सामने ये शर्त रख देती की बिना उस आरोपी के प्रत्यर्पण के आगे कोई भी बात नहीं होगी, किसी भी मुद्दे पर तो ज्यादा से ज्यादा क्या होता हमारे व्यापारिक सम्बन्ध समाप्त हो जाते हमारी अर्थव्यवस्था असंतुलित हो जाती , पर कम से कम ऐसी बेबसी न महसूस करता हर भारतवासी जो आज महसूस हो रही है | इस बार भारत की सरकार को इस मुद्दे को काफी गंभीरता से लेना होगा वरना , इंडिया लेबर मार्केट बनकर रह जायेगा विश्व के लिए (जो कभी भारत के नाम से हर सभ्यता और संस्कृति का अगुवा कहलाता था ) |
जिल्लत की ज़िन्दगी रोज़ रोज़ जीने से अच्छा इज्जत की मौत होती है |

जय हिंद जय भारत

2 comments:

Rahul said...

I don't think we lost our pride to any country specially America.Today when president Obama hosted his first State of the Guest function he called our PM MR Manmohan Singh as Chief Guest.India is the only country in world who has signed deal for nuclear materials with America,Russia and France without signing on CTBT or NPT.Is it the matter of shame?

Yes court verdict was wrong and it could be handled in better way so that family person, of Bhopal Gas tragedy could be condoled.

Vivek "The Wisdom" said...

@राहुल
भाई आप क्यों आँख बंद करके बात कर रहे हो दोस्त , आपने मेरे ब्लॉग पर कमेन्ट लिखा इसके लिया आपका बहुत बहुत धन्यवाद पर मैं आपके विचारो से तनिक भी सहमत नहीं हूँ |
आप अपने विचारो को व्यक्त करने से पहले एक बार भोपाल गैस त्रासदी कांड से जुडी हुई तमाम खबरों पर नजर डालो तुम्हे सच्चाई खुद ब खुद समझ आ जाएगी | मैं मानता हूँ की भारत के विकास के लिए
उसके व्यापारिक संबंधो का पुरे विश्व में होना जरुरी है पर वो सम्बन्ध किसी भी हालत में देश के ,देशवाशियो के सम्मान से उपर नहीं होना चाहिए |
आज अमेरिका किसी भी देश में के किसी भी व्यक्ति को केवल शक के बिनाह पर ही गिरफ्तार करवा देता है और यही नहीं वो उस देश में जाकर सबसे पहले अपने पूछताछ भी करता है ,आपको मुंबई हमला याद ही होगा जैसे ही अजमल कसाब पकड़ा गया उसके अगले ही दिन अमेरिका का जाँच दल पुरे लाव लश्कर के साथ इंडिया आ धमका और अकेले में पूछताछ की और जब हमे हैडली से पूछताछ करनी थी तो उसके लिए हमारे गृह मंत्री, विदेश मंत्री को अमेरिका जाकर अमेरिका के राष्ट्रपति के सामने दरबार लगाना पड़ा तो इजाजत मिली | भाई आपसी सम्बन्ध का मतलब बराबरी का दर्जा होता है नाकि राजा और रंक का रिश्ता | आत्मसम्मान से बढ़कर कोई भी चीज नहीं होती है चाहे वो प्रथम राजकीय अतिथि का दर्जा हो चाहे परमाणु समझौता हो |

जय हिंद जय भारत